रविवार, 4 फ़रवरी 2024

 

कृत्य चरित्र प्रकृत कलंकित
मर्यादा के घिनोउने छई
उज्जर धप धप पहिर अधर्मी
धर्मक भाड़ उठौने छई

डेग डेग पर झुठक खेती
अप्पन बाग सजोउने छई
गिद्ध बनल ओ बाट तकैत
बुट्टी पर नजैर टीकोने छई

लाज शर्म आ हया बेची
बेसर्मक हाट लगौने छई
लूट खसोट चोर चोट्टा संग
पतित के सभा लगौने छई

अधिकार ओ गरीबक छिनब
अप्पन सोख बनने छई
जग के जन हो भले घायल
ओ माहुर खुवा जियेने छई

चोला(गुबदी मारी) ओढ़ी बनल ओ सज्जन
मीठ मीठ बात सुनोबई छई
भीतरे भीतर बनल फसादी
घर घर आगी लगौने छई

नवतुरिया सँ नव परिवेशक
पंकज आस लगेने छई
करथु सुमंगल सकल समाजक
प्रभु सँ बिनती केने छई।

 

किछु छंद आँहा लिखितौ
किछु राग हम बनबितऊ, (हम राग बनी जइतौ)
फेर गीत केर माला
हम मिली क़ परसितौ...

किछु नेह आँहा करिताऊ
किछु भाव हम बनाबिताऊ(हम भाव बनी जईतौ)
फेर प्रेम केर गंगा में
डुबकी लगबितैउ...

जौ पुष्प आँहा रहितो
हम सुंगन्ध  बनी  जाइतउ
फेर  गुलाब जेना प्रेमक
उपहार बनि जेईतउ....

जौ मीत आँहा बानीतौ
त प्रीत हम रहितौं(हम प्रीत बनी जईतौ)
फेर रीत बनी प्रेमक
नव सिख के जगबितऊ....

जौ चाँद आँहा रहितौ
हम चकोर बनी जईतउ,
फेर रूपक देखी देखी आँहा केर
जीनगी बिताबितौ..

सोमवार, 3 जुलाई 2017

हम फरिछा क की कहब,
जौ तोही नई बुझब,
हम गरिया क की कहब,
जौ तोही नई बुझब,
बुझइ लेल त मात्र,
ईशारा काफी छई,
हम थोपिया क की कहब,
जौ तोही नई बुझब।
"पंकज"

शुक्रवार, 5 मई 2017

सुनु मिथिला के नारी
आहाँ नई छी बेचारी
जागु जागु आहाँ छी महान हे
सब धिया छथि सीता सामान हे

जनक नंदनी प्यारी
जानकी बड़ दुलारी
सिया सहली बहुत अपमान हे
सब धिया छथि सीता समान हे

राम संग वनवाशी
स्वामी केर बनी दाशी
सिख देली पतिव्रता के ज्ञान हे
सब धिया छथि सीता समान हे

सिया धिया सुकुमारी
सहली दुःख बड़ भारी
रखली मान सदा श्री राम के
सब धिया छथि सीता सामान हे


शनिवार, 17 दिसंबर 2016

पीड़ा

कतौ सोहनगर बात सुनई छी,
कतौ सुनई छी गीते टा,
फकरा खिस्सा सब कहई छैथ,
हाथ लगई छैथ मीते टा.

गान बखारिक सब गबई छैथ,
हाथ में छैन बस बीत्ते टा,
अध् खिच्चा जौ करता बखरा,
फरी भेटतैन तीते टा.

मुरियारी देब सब बात में,
बुधियारी छैन एते टा,
भाई भैयारी के झगरा में,
बांधी रहल छैथ भीते टा.

बिसैर रहल छी हम अपना के,
खूइन रहल छी खत्ते टा,
डढ भ रहल कही इ खध्धा,
हुवे ने सागर जत्ते टा.

पंकज झा
१७/१२/२०१६


मंगलवार, 22 मार्च 2016

geet

सन-सन बसात बहई,
धक्-धक् करेजा में,
लगाई पिरितिया के बाण,
हाय राम,
मौन परल आई हमरा गाम.....हाय राम

चम्-चम् इजोरिया में,
चमकई बिजुरिया,
कछ-मछ करैया पराण,
हाय राम,
मौन परल आई हमरा गाम...हाय राम

तन-मन सिनेहिया लै,
काटय अहुरिया,
भय गेलौ हमहूँ अकान,
हाय राम,
मौन परल आई हमरा गाम...हाय राम

टूक-टूक ताकैत हेती,
बाट ओ बहुरिया,
नई छई विरह के निदान,
हाय राम,
मौन परल आई हमरा गाम... हाय राम

जग-मग जगाबइ छई,
प्रितक सिनेहिया,
फगुवा हो प्रीतम के नाम,
हाय राम,
मौन परल आई हमरा गाम...हाय राम

पंकज झा

शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

हे मिथिला माँ व्याकुल छी

हे मिथिला माँ व्याकुल छी जे दर्शन पावी,
जखन जखन करि याद आहाँ हम दौरल आबी,
गौरव अईछ संतान आहाँ के छी हे मईया,
दिय वरदान कि जागैथ हमर मैथिल भईया.

बनि थेथर हम सुतल छी जेना होई सरापे,
देखि दशा माँ छी लज्जित हम अपना आपे,
मोनक व्यथा सुनाबी की हम सुनत के मईया,
जकरा केलौ भरोष सेह सब भेल कसईया.

सोची रहल छी हमहूँ माँ बनि जाई जोगारी,
जौं कियो नहला मारई त हम दहला मारी,
करी परपंच सेहो त आहाँ नई सिखेलौ,
आजुक युग में ताई हम बउधा कहाबेलौ.

टूटी रहल अईछ आब हे माँ सहबा के शक्ति,
सब सपुत में जगा दियौ मिथिला के भक्ति,
नई जागब आब अखनो त नई बचत चिन्हाशी,
पंकज करई नेहोरा सुनु हे मिथिला वाशी.

पंकज झा