कृत्य चरित्र प्रकृत कलंकित
मर्यादा के घिनोउने छई
उज्जर धप धप पहिर अधर्मी
धर्मक भाड़ उठौने छई
डेग डेग पर झुठक खेती
अप्पन बाग सजोउने छई
गिद्ध बनल ओ बाट तकैत
बुट्टी पर नजैर टीकोने छई
लाज शर्म आ हया बेची
बेसर्मक हाट लगौने छई
लूट खसोट चोर चोट्टा संग
पतित के सभा लगौने छई
अधिकार ओ गरीबक छिनब
अप्पन सोख बनने छई
जग के जन हो भले घायल
ओ माहुर खुवा जियेने छई
चोला(गुबदी मारी) ओढ़ी बनल ओ सज्जन
मीठ मीठ बात सुनोबई छई
भीतरे भीतर बनल फसादी
घर घर आगी लगौने छई
नवतुरिया सँ नव परिवेशक
पंकज आस लगेने छई
करथु सुमंगल सकल समाजक
प्रभु सँ बिनती केने छई।
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