सोमवार, 3 जुलाई 2017

हम फरिछा क की कहब,
जौ तोही नई बुझब,
हम गरिया क की कहब,
जौ तोही नई बुझब,
बुझइ लेल त मात्र,
ईशारा काफी छई,
हम थोपिया क की कहब,
जौ तोही नई बुझब।
"पंकज"

शुक्रवार, 5 मई 2017

सुनु मिथिला के नारी
आहाँ नई छी बेचारी
जागु जागु आहाँ छी महान हे
सब धिया छथि सीता सामान हे

जनक नंदनी प्यारी
जानकी बड़ दुलारी
सिया सहली बहुत अपमान हे
सब धिया छथि सीता समान हे

राम संग वनवाशी
स्वामी केर बनी दाशी
सिख देली पतिव्रता के ज्ञान हे
सब धिया छथि सीता समान हे

सिया धिया सुकुमारी
सहली दुःख बड़ भारी
रखली मान सदा श्री राम के
सब धिया छथि सीता सामान हे