किछु छंद आँहा लिखितौ
किछु राग हम बनबितऊ, (हम राग बनी जइतौ)
फेर गीत केर माला
हम मिली क़ परसितौ...
किछु नेह आँहा करिताऊ
किछु भाव हम बनाबिताऊ(हम भाव बनी जईतौ)
फेर प्रेम केर गंगा में
डुबकी लगबितैउ...
जौ पुष्प आँहा रहितो
हम सुंगन्ध बनी जाइतउ
फेर गुलाब जेना प्रेमक
उपहार बनि जेईतउ....
जौ मीत आँहा बानीतौ
त प्रीत हम रहितौं(हम प्रीत बनी जईतौ)
फेर रीत बनी प्रेमक
नव सिख के जगबितऊ....
जौ चाँद आँहा रहितौ
हम चकोर बनी जईतउ,
फेर रूपक देखी देखी आँहा केर
जीनगी बिताबितौ..
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