सखी हे के निपतई चिनवार?
वर मांगल हम अनधन
लक्ष्मी,
पुत्र हुवे यशराज,
सुनल मनोरथ हमरो प्रभु जी,
भेजला सात समंदर पार,
सखी हे के निपतई चिनवार?
तिनका तिनका तोरी तारि क,
चूल्हा चोउकी जोरी जारि क,
ठानल हमर मनोरथ सबके,
बंद भेल पट केवार,
सखी हे के निपतई चिनवार?
सर-कुटुम्ब कहा आब देखब,
सोहर-पराती कतय सुनब हम,
अन्न पाइन जे छुटल से
छूटल,
परती खेत पथार,
सखी हे के निपतई चिनवार?
की जौ चाही अन्न-धन
लक्ष्मी,
त की गोशौन अहिना रहती?
अपन घर अपन बारी में,
नई छई कोनो जोगार?
सखी हे के निपतई चिनवार?
पंकज
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