शनिवार, 28 अगस्त 2010

yo mithila wasi jagu yo

यो मिथिला वासी जगु यो
आऊ आडंबर स आगू यो
संकुचित विचार के त्यागु यो
यो मिथिला वासी जगु यो

अई राजनीत कंठक सासरी
मइर रहल समाज लगा फसरी
निर्लाजा सब स सिखु यो
यो मिथिला वाशी जागु यो

दुनिया कत स कत गेल
हम अखनहु धैर पछुवायल छि
संकुचित विचार स घायल छि
आबो ता नींद स जगु यो

माँ सीता के र इ धरती में
विद्यापति के र इ परती में
अपन कर्मठता स आबू
मिली हरियर बाग़ बनाबू यो
यो मिथिला वासी जगु यो

पंकज

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढिया शब्द चयन पंकज जी,
    जई उत्साह सं लागल छि, अहिना रचना सबके आबए देबै आ संगे आश लगौने छि जे शब्दक चयन अहिना ठेठ मैथिली राखव.

    स्नेहस संग
    कमलेश किशोर झा

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