मंगलवार, 13 अगस्त 2013

अज्ञानी हम ज्ञान क्षीर स परा रहल छी ,
नै बुझल ओ भाब भ्रम में हरा रहल छी , 
हम कहबि संतान हे माँता आहाँ मैथिलि,
अपने हाथे अपन धरा के हरा रहल छी। 

सदबुधि दय रक्षा करू हे माँ ------ पंकज