हम मैथिल संतान कहाबी
नित नविन गीत हम गावी,.
विद्वानक नगरी सँ आवी
स्नेह आर आशीष हम पावी।
जाते सिया के जन्म भेल
उगना रूप महादेव लेल ,
कोशी,कमला,गंडक धारा
हिम सँ निकली कs गँगा गेल।
विद्यापती, वाचस्पति, मंडन
करी हम सब संतक बंदन,
जँ जीवन हम मनुखक पावी
तs हे प्रभु हम मिथिला आवी।
"पंकज"