दहेजक लीला
एक टा बेरोजगार आ कामचोर बेटा(केदार) के बाप(लीलाधर बाबु) बहुत चिंतित छैथ, बेटा जवान भ गेल मुदा कोनो काज धंधा नै करैत अछि। दिन भैर गामक चौक पर ताश खेलैत आ मात्र भोजन के समय घर अबैछ। भोजन करैत अछि आ फेर चौक पर पहुँचि जैछ। घरक स्थिति बहुत ख़राब छैक। किछु खेत-पथार भर्ना रखने रहैथ लीलाधर बाबु ई सोचि जे बेटा के बियाह करब आ जे दहेज़ भेटत ताहि कैञ्चा सऽ खेत छुरायब। मुदा आब ई बेरोजगार के ऊपर घ
टको नञि आबैत छल। बहुत चिंतित छलाह लीलाधर बाबु।
एक दिन हुनकर एक टा पिसियौत भाई(लुटन भाइ) जे धियेपुता के संगी सेहो छलखिन से हुनका ओतय एलखिन। भाइ के चिंतित देखि पुछालखिन जे की कारण जे अहाँ एतेक चिंतित छि?
लीलाधर बाबु : की कहू भाइ! ई बेटा कऽ लऽ कऽ बड चिंतित छी? से नहि कोनो काज करैया ने कोनो टहल आ दिन भैर चौक पर खाली ताश खेलि समय बरबाद करैय। सोचलौं जे बियाह-दान होइतइ त जेह-किछु भेटिते, तो कनी लेल-देल हल्लूक करितौं, मुदा आब त भरोस टूटि गेल अछि।
लुटन भाइ :- बस भाई, अतबे बात! हम अहाँ के चिंता दूर केलौं बुझू। लियऽ ई १०,०००/- टाका पकड़ू, आ केदार के कहियो काल्हिये दिल्ली के ट्रेन पकड़त। ओतय हमर छोटका बेटा लाल साहेब रहैत अछि, ओकरे लग चलि जायत।
लीलाधर बाबु: भाइ! एतेक पाइ हम अहाँ सऽ लऽ तऽ लेब मुदा सधायब कोना?..... ओ बेठुवा कोनो काजो करे ने?...ओतहु जाय कऽ लाल साहेब के खखोरबे करत....
लुटन भाइ:- से अहाँ चिंता नहि करू, हम सब बात गणित लगा लेलौं...आहाँ देखैत तऽ रहू....(आ लीलाधर बाबु के कान में किछु फुशफुशा देलखिन)
पत्ता नई लुटन भाई कोन एहन बात लिलाधर बाबु के कहलखिन जे लीलाधर बाबु के चेहरा हरिया गेलैन, आ मुसकान छुटय लगलैन.
अगिला दिन भोरे लीलाधर बाबु केदार के बजौला आ कहला जे केदार बेटा एक टा काज कर, ई ले १०,०००/- टाका, आ आइये तों दिल्ली चलि जो, घूमि-फिरि आबे, कनी मोंन बदैल जेतौक, गाम में रहैत-रहैत मोन अकच्छ भऽ गेल हेतौ, केदार के बड आश्चर्य लगलैक, जे घर में दिन खाइत छी तऽ राइत लेल झखइ छी आ राइत खाईत छी त दिन लेल; तय पर बाबु १०,०००/- टाका दऽ कऽ दिल्ली घुमय पठा रहल छैथ, फेर सोचलक दूर हमरा अतेक माथा किया ख़राब करी एतेक नीक मौका हाथ लागल एकरा अहिना नहि जाय दी।
केदार(झट सऽ पाइ अपन हाथ में लैत) :- बाबु दिल्ली त चलि जायब मुदा रहब कतय?
लीलाधर बाबु: तों चिंता नञि कर...ऊ लूटन ककाके छोटका बेटा लाल साहेब तोरा दिल्ली स्टेशन स लऽ जेथून..हम सब व्यवस्था क लेलौं...
केदार के त बुझैत छल जेना कोनो सपना देखैत हुवे, मुदा ओ अपन मोन के सब प्रश्न के मोंने में दबा देलक, किऐक तऽ एतेक नीक मौका में कोनो बाधा नहि आबय तै ओ सभ बात के अपने अन्दर दबा देलक....
हबर हबर स्नान-ध्यान केलक, कपड़ा-लत्ता बेग में रखलक, आ अपन किछु दोस्त सभ के ई कहलक जे भाइ रौ हमारा बरका कंपनी के नोकरी लैग गेलौ. दिल्ली स बजाहट एलउ से देखही न वैहे सब पाइयो १०००० टका भेजलक एडवांस जे जल्दी आबि जाउ। ओ हमर एक टा सम्बन्धी छैथ इ कंपनी में बरका हाकिम...वैहे जोगार लगेलाह। सब के बड आश्चर्य लगलैक, जे अचानक ई की भऽ गेलै। मुदा तैयो लोक बुझलकइ जे भऽ सकैत छैक। जोगार हुवे त सब काज संभव....
१२ बजे बस सँ केदार दरभंगा निकलला..ओतहि स ट्रेन सऽ आगाँ दिल्ली जेता.
दिल्ली में केदार अपन पितियोत भाइ लाल साहेब कऽ ओतय पहुँचला, लाल साहेब हुनका स्टेशन लेबऽ आयल छलखिन. एहिना दिल्लीमें लगभग १ सप्ताह रहला की घर स बाबु के फ़ोन आयल:- जे एक टा काज करऽ ओ जे १०००० टका देने छलिय तै में कते बचलऽ?
केदार : बाबु लगभग दू, अढाई हजार खर्चा भ गेल..
लीलाधर बाबु:- बउवा रे एक टा काज कर ७००० टका तो मणिआडर क दे...कानी बहुत जरुरी बेगरता लगी गेल...तोरा घटतौ तऽ लाल साहेब सऽ लऽ लिह....हम लाल साहेब के कही देने छियइ...
केदार सोचलक ठीके छई जखन लाल साहेब अत आइछे आ खातिर दारी सेहो खूब क रहल अईछ त फेर कोण चिंता...तुरत डाकखाना गेल आ ७००० टका मणिआडर गाम क देलक.
किछुवे दिन में ई पाई गाम पहुच गेलइ, गामक डाकपिन के कहीं रहल जाई! ओ कतौ चर्चा कऽ देलकैक जे लीलाधर बाबु के बेटा ७००० टका दिल्ली स मणिआर्डर केलकइ... इ बात समूचा गाम पसैर गेलइ, जे एके मासमें छौड़ा के गेल भेलइ आ देखू जे पाइयो पठावा लागले. जे लोक सब ओहि केदार के निकम्मा कहैत छल सैह सभ आब केदार के बराइ पर बराइ छाटि रहल छला... सौसे गाम आब केदारे के चर्चा...
एम्हर लीलाधर बाबु जतय निकलैथ सभ पुछारि करय लगइन जे कोना की काज कऽ रहल अछि केदार. सब के वेह बात जे बरका कंपनी में काज लागि गेलइ. जे महाजन सब जतऽ ततऽ तगादा कऽ दैत छलैन से सभ आब पाइ लेल किऐक चर्चो करतेन..आहिना एक मास बितल..
दोसर मास में फेर लीलाधर बाबु केदार के फ़ोन क कऽ कहलखिन, रौ केदार जखन गेल छे दिल्ली तऽ कतौ काज त पकैड़ ले....मुदा जेकरा बैसि के खाय के आदति लागल होय ओ कहूँ काज करय. आ तइ पर लाल साहेब के मेहमान नवाजी. लीलाधर जी कहल खिन जे केदार लाल साहेब स १०००० टका ल ले हमरा गप भ गेल अईछ आ हमरा गाम पठा दे. केदार फेर बड़ा चकित भेल, मुदा ओकरा एहि सभ स कि लेना-देना। ओ सोचलक बाबु के काज बाबु जनता. हमरा कोन लेना देना. लाल साहेब स केदार पाई मंगलकइ, ओ झट स १००००/- निकाइल क दऽ देलकैक। केदार ओ पाई गाम फेर पठा देलक।
फेर गाम पर डाक पिन द्वारा इ बात लिक भ गेल जे केदार एहि मास १००००/- टाका पठेलक... आब त पूरा गाम लोक अपन धिया पुता के केदार सऽ सिख लेवाक ज्ञान देबय लगलाह....सब केओ केदारक गुणगान करय लागल...आब देखिते-देखिते केदार के ओतय घटक सभके सेहो लाइन लागय लागल। लीलाधर बाबु त कोनो घटक के भाउवे नहि देथिन. घटक सब अपन-अपन जोगर सँ नीक-नीक लोक सब के लऽ कऽ अबथिन. मांग सुनि किनको हिम्मत नहि होइन।
एक टा घटक एला, कन्याक पिता (अलख बाबु ) कचहरी में किरानी छलखिन... ऊपरी आमदनी सेहो नीक छलैन. ओ केदार के विषय में एतेक सुनने छला जे निर्णय कइये कS आयल छला जे किछु भऽ जायत हम ई कुटमैती कइये कऽ रहब। सब गप भेल, मांग के बात चलल, लीलाधर बाबु कहलखिन सोनहा गाम के एक टा घटक आयल छला ओ ५ लाख टका आ एक टा हीरो-होंडा गछने छला. मुदा हुनक कन्या हमर बचवा के नहि पसीन भेलइ तैं हम ओ कुटमैती नहि केलौं।
अलख बाबु :- सरकार हम अपनेक सब बात के मानलौं, मुदा हम त बेटीवाला छी, कनी हमरो पर दया करू, किछु त बिदाइयो के मान राखू...
लीलाधर बाबु :- बिदाई के हम गछइ नइ छी मुदा हमरा अपना जे उचित लागत से हम बिदाई छोरि देब, मुदा पाइ टु पाइ हमरा हाथ उठाबऽ सँ पहिने चाही. नहि तऽ बरियाती एतय सँ नहि घुसकत।
अलख बाबु एतेक नीक लड़का कहीं हाथ सऽ नहि निकइल जाय, ताहि लेल सब बात गैछ लेला आ झट सँ १ लाख टाका निकाइल क दय देलखिन....आ कहलखिन- श्रीमान इ एक लाख टका ताबत रखल जाऊ, बांकी के हम पाइ टु पा हाथ उठाबय सँ पहिने द देब.
वियाह फ़ाइनल भ गेल सब गोटे वियाहक तयारी में जुटला, लीलाधर बाबु झट सँ अपन पिसियौत लुटन भाइके खबैर केला. लुटन बाबु भागल-भागल लीलाधर बाबु के गाम पहुँचला. ओही दिन सब हिसाब किताब सुइद सहित लीलाधर बाबु लुटन बाबु के चुकता केला. लुटन बाबु सेहो सुइद सहित पाई भेटला पर प्रसन्न छला.
केदार के फ़ोन देल्ही कायल गेल जे बौवा अहाँक विवाह ठीक भऽ गेल से आगिला महिना २० तारीख क विवाह अइछ. केदार बहुत अचंभित जे आखिर कोन जतरे अयलौँ जे भगवान् छप्पर फाइर कऽ खुश-खबरी दऽ रहल छैथ. लीलाधर बाबु कहलखिन केदार सँ - आहा के हम २०,०००/- टाका पठा रहल छि अहाँ दिल्लिये में नीक-नीक कपड़ा-लत्ता सभ अपना लेल सिया लेब. आ जे-जे मोन करय से सभ लऽ लेब.
केदार के ख़ुशी के त ठिकाना नइ....मगर सोचलक बाबु के इ की भऽ गेल छैन, एहन कोन कुबेर के भंडार हाथ लाइग गेलैन जे बाबु पाइ बहा रहल छैथ...मगर फेर वेह बात जे केदार के पहिने होइत छल. हमरा कोन लेना-देना. लाल साहेब के मार्फ़त केदार के २०,०००/- टाका भेटल, ओ लालसाहेब संग जाक क खूब कपड़ा-लत्ता चीज वास्तु सब किनलक... आ गाम जेबाक लेल वातानुकूलित यान (एसी) में अपन आरक्षण सेहो करबेलक.
वियाह स चाइर दिन पहिने केदार संपर्क क्रांति स दरभंगा आयल...केदार के लेवक लेल लीलाधर बाबु बोलेरो गाड़ी लऽ क दरभंगा गेला...आ ओतइ नवका समैध के सेहो बजेने रहथिन कियैक त ओ केदार के देखने नहि रहथिन. आ केदार जाई ठाठ-बाठ स आयल ओहो देखेवक छलैन. ट्रेन स्टेशन पर आयल. केदार के फ़ोन पर बाबु सब बात बता देने रहथिन जे कोना की करबाक छइ. केदार पूरा फ़िल्मी हीरो जेकाँ कपड़ा, चश्मा-तश्मा पहिरने जखन ट्रेन सऽ बहार निकलल त हीरोऐ बुझैत छल. केदार के रूप रंग देखि अलख बाबु बहुत प्रसन्न भेला. जखन केदार लग में अयला तऽ लीलाधर बाबु केदार के कहलखिन बउवा इ अहाँ के होबयवाला ससुर छैथ, हिनका प्रणाम करू. केदार हुनका पैर छू क प्रणाम केला. अलख बाबु तुरंत १००० टका के ५ टा नोट आ एक गो सिक्का केदार के हाथ में थम्हा देलखिन. केदार लजाइत-लजाइत ओ पाई सम्हारलक आ धीरे स अपन जेबी में धऽ लेलक. लीलाधर बाबु अपन लीला के प्रदर्शन करैत अलख बाबु के कहलखिन आब हमरा लोकिन के आज्ञा देल जाउ, समय पर घर सेहो पहुँचय के छैक. अलख बाबु प्रसन्नता संग हुनका बोलेरो तक अरियैत देला आ लीलाधर बाबु केदार के लऽ कऽ गाम विदा भेला. रास्ता में केदार के सब बात नीक जका बुझा देलखिन जे कियो पूछत त कहबई एक टा बरका कंपनी में नोकरी करैत छी.
वियाहक दिन आयल सब गोटे दरबज्जा पर बैसि बरियाती में के कते खायत, के की करत, तकर हास्य व्यंग चलैत छल. चाह पान त कियो पुछिते नई छल. पान मसाला आ डबल जीरो के सेहो इंतजाम छलैक, आखिर केदार के जे वियाह छैक आइ. एतबा में एक टा गौंवा पुछलाखिन - लड़का लेबे कतेक बजे औता?
लीलाधर बाबु :- कहने छला २ बजे तक पहुँच जैब, हमहूँ कहि देने छलियैन, जतेक जल्दी अहाँ लोकनि आयब ततबे जल्दी हमहूँ सभ विदा होयब.
ग्रामीण:- उचिते की ने..ऊ अगर देर करता त अतुको लोक देर करत.
आखिर २.३० बजे लड़का लेबा ५ गोटे स अलख बाबु पहुँचला, आगत-स्वागत भेलैक, चाह पान नास्ता भेलैक, लीलाधर बाबु के पूरा ध्यान अलख बाबु पर छल अखनो २ लाख टका बांकी छल. हाँ कनी खुश छला जे मोटर साइकिल अलख बाबु संगे लऽ कऽ आयल छला. एक टा ग्रामीण:- इ हे मोटर साइकिल केदार के सासुर में भेटलइ?
दोसर समांग :- हाँ यौ काका! इहे मोटरसाइकिल छइ. अहूँ के एक दिन एहि पर बैसा कऽ घुमा देत...
अहिना हास्य मसकरी होबय लागल...फेर अलख बाबु लीलाधर बाबु के इसरा केला आ एकांत में चलाबक आग्रह. झट स लीलाधर बाबु दरबाजा बाला दुमुहा घर खाली करेला. आ अलख बाबु के ओई में बाजेला. ओत बाकी के २ लाख टका अलख बाबु कल जोरी क लीलाधर बाबु के देलखिन...आ आग्रह केलखिन जे हम अपन वचन निभेलाऊ आब अहाँ पर निर्भर जे अहाँ हमर मान राखी. लीलाधर बाबु सदा सऽ खगता में रहऽवाला लोक हुनका हाथ आयल लक्ष्मी के कहीं जाइ देथुन. मुदा लुटन भाइ के कहला पर १०,०००/- टाका के विदाई केलखिन.
सब गोटे ख़ुशी खुशी बरियाती के तैयारी में लागल. पाहून सब के सेहो स्वागत वात खूब भेलैन. लड़का के परिछन भेलई, हाथ उठाई में सेहो घडी आ अंगूठी भेटलइ. बरियाती विदा भेला. सब गोटे प्रशान्त संग बरियाती के लेल लागल टेंट में पहुँचला. स्टेज बनल छल ओहि पर केदार संग लीलाधर बाबु सेहो बैसला, आइ लीलाधर बाबु के होइत छलैन जे बेटा जनमा कऽ हम कोनो सम्राट समान बइन गेलौं. मोंने-मोन लुटन बाबु के धन्यबाद दैत छला जे लुटान भाइ एतेक नीक जोगार लगेला.
खूब धूमधाम सऽ विवाह संपन्न भेल. बरियातियो खूब प्रसन्न छला जे बहुत नीक स्वागत बात भेल. एतय लोक सब केदार के देखय अबैत त केदारक ठाठ-बाठ देखि दंग. सब के लागैक जे लड़का त बड हाय-फाय छइ, अहुना कहाबत छइ निठाला के ठाठ-बाट बड भारी होई छइ.
एहिना चतुर्थी आयल। सांठ - भार सब बड नीक आयल. अलख बाबु स परिवार बड खुश छला सब बड खुस छल. १० दिन तक सब बेटी जमाई के सेवा में लागल छल. एगारहम दिन ससुर पुछलखिन केदार सँ जे ओझा के कहिया तक के छूटी छैन? केदार के तऽ इ सवाल सुनिते पसीना छूटय लागल. तैयो अपना आप के सम्हारैत ओ बाजल हमरा छूट्टी के कोनो दिकत नहि, हमरा ऊपर जाते दिन के छूट्टी कय सकी, ससुर के भेलैन जे हमर जमाई रोबदार नोकरी करैत छैथ, तै अपना हिसाब सऽ छूट्टी भेटैत छैन. अहिना २० दिन बीतल मुदा केदार अपन स्वागत सत्कार देखि सासुर स टसकय के नाम नहि लैत छल.
एक दिन कनिया (कुसुम) पुछलखिन - ऐँ यौ! अहाँ कोन कंपनी में काज करैत छी, ओ हमर बहिना रूबी हमरा सँ पुछलक जे अहाँ कोन कंपनी में छी त हम बता नहि सकलियैक, कहलियाई जे पूछि कऽ कहब. कहू ने अहाँ के कंपनी के नाम की अछि आ दिल्ली में कत छइ ई कंपनी? बाप रे बाप! आब त बुझु केदार के परैइत बाट नहि भेटैक... ओ सोचय लागल जे ई बाबु हमरा कोन अबग्रहमें फँसा देला.. कहुना ओ लालसाहेब जाहि कंपनी में काज करैत छल से केदार के पता छलइ ओ वैह कंपनी के नाम आ पता कहि देलक.
इ बात कुसुम अपन बहिना के कहली, हुनकर बहिना दिल्लीये में रहनिहार अपन पति सँ कहली, संजोग स कुसुम के बहिना के पति ओहि कंपनीके बगले में काज करैत छला। ओ एक दिन अहिना ओहि कंपनी के एकटा परिचित लोक सँ पूछलखिन जे एना-एना केदार नाम के लोक अहाँ ओतऽ काज करैत अइछ. ओ लोक कहलखिन नहि ई केदार नाम के कोनो बंदा हमरा कंपनी में नइ अइछ. ई बात कुसुम के बहिना के पति कुसुम के बहिना के कहलखिन आ कुसुम के बहिना फेर कुसुम के इ बात कहलखिन. कुसुम के तऽ ई सुनैत बुझु जेना देह पाथर भऽ गेलैन. ओ दौड़ल-दौड़ल गेली आ अपना माँ-बाबु के ई बात कहली, हुनक माँ-बाबु सेहो विचलित भेला इ बात सुनि के.
जखन कुसुम बहुत कठोर भऽ कऽ केदार सऽ पुछलखिन तऽ केदार स्वीकार केला जे ओ बेरोजगार छैथ. मुदा आब कुसुम आ हुनक परिवार पर इ जेना बज्र खैश पड़ल। हो सबगोटे लीलाधर बाबु के एहि करतूत सँ बहुत आहत भेला. धीरे-धीरे ई बात पूरा समाज में पसैर गेल. सब लीलाधर बाबु के थू-थू करय लगला. मुदा आब उपाय कि? मिथिलाक बेटी एक बेर जेकर नामक सिंदूर अपन मांग में भरली ओकरे संग जन्म-जन्मान्तर तक साथ निभेबे करती.
मुदा कुसुम कमजोर नहि पड़ली, ओ केदार के अकर्मकता के दूर कय अपन सम्मान बचेवाक प्रण लेली. ओ एकटा कुशल अर्धांगिनी जेकाँ केदार के काज करबाक प्रेरणा दऽ केदार के नया जीवन शुरु करबाक लेल प्रोत्साहित केली. केदार सेहो पश्चाताप केला आ अपना आप के परिश्रमी बनवाक प्रण लेला. किछुवे दिन बाद केदार के बहुत नीक नोकरी भेट गेलैन आ आब ओ अपन परिवार के संग दिल्ली में नीक जेना रहैत छथि. कुसुम आ केदार के मोन में लीलाधर जी के प्रति घृणा अखनो छैन. आ ऊ अखन तक संपर्क तोरने छैथ. भगवान करथुन जे एक दिन सब ठीक भऽ जाइ. आ फेर कोनो लीलाधर जी मिथिलाक संसार में अवतरित नहि होइथ.
पंकज.
(pankaj jha)